आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक शनिवार को मुंबई में पीएमएलए मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुए. शनिवार दोपहर 2 बजे के करीब वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत भी पूछताछ के लिए ईडी के ऑफिस पहुंच गए हैं. ईडी की ओर से कोचर के ठिकानों पर की गई छापेमारी के एक दिन बाद दोनों ईडी के बलार्ड एस्टेट कार्यालय पहुंचे. अधिकारियों ने बताया कि जांच अधिकारी धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कोचर और उनके पति के बयान दर्ज करेंगे.
इससे पहले ईडी ने शुक्रवार को बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत के आवास और उनके दफ्तरों पर छापामार कर कार्रवाई की. मुंबई में उनके 5 दफ्तरों और आवासीय परिसर समेत कुछ अन्य जगहों पर भी छापे मारे गए.
प्रवर्तन निदेशालय ने फरवरी महीने की शुरुआत में चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर, वेणुगोपाल धूत और कई अन्य के खिलाफ आईसीआईसीआई द्वारा कार्पोरेट ग्रुप को 1,875 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी देने के मामले में कथित अनियमितता और भ्रष्टाचार की जांच के लिए पीएमएलए एक्ट के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था.
बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में तीनों आरोपियों- चंदा, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के एमडी वेणुगोपाल धूत के खिलाफ फरवरी में ही लुकआउट नोटिस जारी किया गया था. बैंक से जुड़े अधिकारियों के मुताबकि लुकआउट नोटिस इसलिए जारी किया गया ताकि आरोपी लोग देश छोड़कर बाहर न भाग सकें.
जनवरी में चंदा कोचर के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट में बताया गया था कि वीडियोकॉन को कर्ज देने के लिए चंदा कोचर ने बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन किया. उनके ही कहने पर इस कर्ज का कुछ हिस्सा उनके पति दीपक की मालिकाना हक वाली कंपनी को भी दिया गया.
जांच रिपोर्ट आने के बाद आईसीआईसीआई बैंक बोर्ड के निदेशकों ने आईसीआईसीआई से कोचर के अलग होने को बैंक की नीतियों के तहत उन्हें ‘कंपनी से हटाया जाना’ माना. इस कार्रवाई के बाद चंदा कोचर के मौजूदा और भविष्य में दी जाने वाली सभी तरह की राशि, बोनस, इंक्रीमेंट और स्टॉक से अलग कर दिया गया.